घर मुख्य प्रवेश द्वार के लिए वास्तु एवं उपाय, मुख्य द्वार से संबंधित कुछ खास नियम

घर मुख्य प्रवेश द्वार के लिए वास्तु एवं उपाय, मुख्य द्वार से संबंधित कुछ खास नियम

प्रवेश द्वार से ही आती है प्रगति

घर का मुख्य द्वार सभी सुखों को देने वाला होता है। यदि द्वार की स्थिति सही हो, तो कई दोषों का स्वतः निवारण भी हो जाता है…

प्रवेश द्वार चाहे किसी घर का हो, कारखाने, फैक्ट्री आदि का, लाभ-हानि दिलाने में अहम् भूमिका निभाता है। पूर्वकाल में भी राजमहलों और हवेलियों के निर्माण के समय प्रवेश द्वार पर प्रमुखता से विचार किया जाता था। वास्तुशास्त्र के अनुसार, यदि द्वार की स्थिति सही हो, तो कई दोषों का स्वतः ही निवारण हो जाता है और सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य व यश-कीर्ति में वृद्धि होती है। शायद यही वजह है कि अन्य दरवाजों की तुलना में मुख्य द्वार को ज्यादा महत्व दिया जाता है।

घर के मुख्य द्वार के लिए वास्तु टिप्स एवं उपाय

© किसी मकान का एक प्रवेश द्वार शुभ माना जाता है। अगर दो प्रवेश द्वार हों, तो उत्तर दिशा वाले द्वार का प्रयोग करें। उत्तर-पूर्व वाले दरवाजे को बंद करके रखें।

© पूर्वाभिमुख भवन का प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए। इससे दीर्घ आयु व पुत्र धन की प्राप्ति होती है।

© पश्चिममुखी मकान का प्रवेश द्वार पश्चिम व उत्तर-पश्चिम में किया जा सकता है। परंतु दक्षिण-पश्चिम में नहीं।

© उत्तराभिमुख भवन का प्रवेश उत्तर या उत्तर पूर्व में होना चाहिए। ऐसे प्रवेश द्वार से निरंतर धन लाभ, व्यापार और सम्मान में वृद्धि होती है।

© दक्षिणाभिमुख भूखंड का द्वार दक्षिण या दक्षिण-पूर्व में कभी भी नहीं बनवाएं। यह वास्तुसम्मत नहीं होता।

© उत्तर-पश्चिम का मुख्य द्वार लाभकारी है और यह व्यक्ति को सहनशील बनाता है।

© प्रवेश द्वार को घर के अन्य दरवाजों की अपेक्षा बड़ा होना चाहिए।

© प्रमुख द्वार पर किसी तरह की परछाई व अवरोध अशुभ माने गए हैं।

© दरवाजा खोलते व बंद करते समय किसी प्रकार की आवाज नहीं होनी चाहिए।

© मुख्य प्रवेश द्वार पर गणेश या गज-लक्ष्मी-कुबेर के चित्र लगाने से सौभाग्य व सुख में वृद्धि होती है।

© प्रवेश द्वार को हमेशा साफ रखें। प्रातः व सायं समय में कुछ समय के लिए खुला रखना चाहिए।

© जहां तक संभव हो, कमरे का दरवाजा दीवार के मध्य न बनाएं अन्यथा कमरे का सही-सही उपयोग नहीं हो सकेगा।

© मुख्य द्वार को डबल डोर वाला ही बनवाएं। घर में कुल दरवाजों की संख्या सम होनी चाहिए।

© मुख्य द्वार को अन्य दरवाजों से थोड़ा बड़ा रखें। दरवाजा स्वतः खुलने व बंद होने वाला नहीं हो।

© प्रवेश द्वार का किवाड़ अंदर की ओर खुले।

जिस घर में उपरोक्त नियमों का सावधानी पूर्ण पालन किया जाता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है। धन, यश, स्वास्थ्य लाभ व निरोगता प्राप्त होती है।

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